किस्सों वाली गुल्लक फिर आपके द्वार आई है. तीसरी किश्त है. किरदार वहीं पुराने वाले हैं, बस किस्से नए हैं. आइए किस्सों की इस नई गुल्लक को फोड़ते हैं..

कहानी नहीं किस्से हैं ये.... जिसने भी गुल्लक देखी है, पहला सीजन देखा हो या फिर दूसरा, ये लाइन हर बार सुनी होगी. ये एक लाइन ही इस सीरीज की सबसे बड़ी ताकत है. 

ये एक लाइन एहसास करा जाती है कि गुल्लक देखने का मतलब कोई सीरीज या फिल्म नहीं,बल्कि आपकी अपनी जिंदगी का ही कोई किस्सा है. अब फिर एक और गुल्लक किस्सों से भर गई है.

वहीं किस्से जो आपने, हमने, सभी ने कभी ना कभी अपनी जिंदगी में देखे हैं. आइए किस्सों की इस नई गुल्लक को फोड़ते हैं..

गुल्लक के तीसरे सीजन में कई मुद्दे उठाए गए हैं. नौकरी लगने की खुशी तो छूटने पर परिवर्तन का दौर, पैसा बड़ा या फिर खुशी, घर के बड़े फैसलों में महिला भागीदारी. पांच एपिसोड की इस मिनी सीरीज में इन्हीं मुद्दों के इर्द-गिर्द किस्सों को बताया गया है. 

अब किस्सों की कभी भी समीक्षा नहीं की जा सकती. किस्से तो हर तरह के हो सकते हैं, अच्छे-बुरे, कड़वे, मीठे, डराने वाले, सिखाने वाले. मतलब ये है कि असल जिंदगी को आप कभी भी रिव्यू के तराजू पर थोड़ी तोलते हैं, सिर्फ जीते हैं.

गुल्लक भी वही है...असल जिंदगी, यहां जो भी कुछ दिखाया गया है वो सबकुछ असली है. बनावट की कोई जगह नहीं है.  

इसी वजह से पहले और दूसरे सीजन की तरह गुल्लक की ये तीसरी किश्त भी कमाल कर गई है. 

गुल्लक सीजन 3 के डायरेक्टर पलाश वास्वानी के लिए इस बार चुनौतियां काफी ज्यादा थीं. सीजन 2 में इतने सारे किस्से दिखा दिए गए थे कि तीसरे सीजन का स्कोप बहुत कम था.

बहुत देख लीं थ्रिलर, एक्शन वाली, रोमांस वाली, अब इस गुल्लक का लुत्फ उठाइए, अकेले नहीं पूरे परिवार के साथ क्योंकि ये कोई कहानी थोड़ी है किस्से हैं,